तू झलक रहा वतन के कणों में है तू रक्षक भारत पर पड़ती हर लाठी का। तू झलक रहा वतन के कणों में है तू रक्षक भारत पर पड़ती हर लाठी का।
करें प्रहार दुश्मन के कंठ पर, जीवन जब तक शेष हो। मिटे उसका अस्तित्व का हर कण, ना कोई करें प्रहार दुश्मन के कंठ पर, जीवन जब तक शेष हो। मिटे उसका अस्तित्व का हर ...
जो हर दिन अपनाओ तो हिन्द का सरताज अमर कर दूँ। जो हर दिन अपनाओ तो हिन्द का सरताज अमर कर दूँ।
आज़ादी के मतवालों ने, हँस-हँसकर दी क़ुर्बानी। आज़ादी के मतवालों ने, हँस-हँसकर दी क़ुर्बानी।
सुभाष चंद्र बोस के ऊपर एक कविता। सुभाष चंद्र बोस के ऊपर एक कविता।
मिटा देना है ऐसा आंतक जो देश को ललकारता है.....। मिटा देना है ऐसा आंतक जो देश को ललकारता है.....।